इंसान हूँ मैं लेकिन
फिर भी क्यों निर्मम बन जाता हूँ,
नफ़रत के सागर में
न जाने कितने गोते लगाता हूँ।
ममता ,विवेक ,दया और प्रेम
ये ख़ूबियाँ मुझे इंसान बनाती हैं ,
फिर भी न जाने क्यों मुझमें
नफ़रत की चिंगारियां सुलगती हैं।
अपने दोषों को
अनदेखा कर ,
औरों के दोष
दिन-रात गिनता हूँ।
इंसान हूँ मैं लेकिन
मेरे ज्ञान और दूरदर्शिता ने
मुझे सूरज ,चाँद ,तारे दिखाए ,
मेरी भयावह सोच ने
बर्बादी के काम कराये।
दर्द बटाना
मानवता है ,
फिर क्यों देता हूँ
औरों को दर्द ?
शायद अपनी पहचान
भूल गया हूँ
इस बार ख़ुद को ढूँढ़ूँगा ,
इंसान हूँ मैं
इंसानियत की ज्योति जलाऊँगा
नये साल में नफ़रत की आग बुझाऊँगा।
@रक्षा सिंह "ज्योति"
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएँ
1) नये ब्लॉग के लिए
2) आँग्ल नव वर्ष के लिए
इंसान हूँ मैं
इंसानियत की ज्योति जलाऊँगा
नये साल में नफ़रत की आग बुझाऊँगा।
बेहतरीन कविता से शुरुआत....
गूगल फॉलोव्हर का गैजैट लगाइए
सादर
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 02 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंHappy New year mam
जवाब देंहटाएंPublish your lines in book format with us: http://www.bookbazooka.com/
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'मंगलवार' ०२ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंमानवता का संदेश प्रेषित करती आपकी बहुत प्यारी रचना रक्षा जी। नववर्ष पर सुंदर भाव और विचार प्रेषित करती आपकी लेखनी के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ है।
जवाब देंहटाएंखूब लिखिए।
नववर्ष शुभ हो। यही कामना है।
इंसानी मन में उठ रहे ज्वलंत सवालों के मध्य चलती मंथन प्रक्रिया बखूबी पेश की आपने, सच कहा खुद को भुलता जा रहा है आज का इंसान.. बहुत अच्छा लिखा है, आपने ...लिखते रहे एवं नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं...!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव।
जवाब देंहटाएंनफ़रत की आग में सुलगते समाज को इंसानियत अपनाने का संदेश देना उसकी सोइ हुई संवेदना जगाना आज प्रासंगिक है।
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाऐं।
वाह
जवाब देंहटाएंसुंदर और भावपूर्ण रचना
शुभकामनाएँ
सादर
इस बार ख़ुद को ढूँढ़ूँगा ,
जवाब देंहटाएंइंसान हूँ मैं
इंसानियत की ज्योति जलाऊँगा
नये साल में नफ़रत की आग बुझाऊँगा।
.. नेक प्रस्तुति
आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत ही शानदार रचना।हृदय गदगद हो उठा पढकर।
जवाब देंहटाएंसुंदर!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सन्देश देती हुती राक्स्हना है ,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है, आपने
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